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मौत को सवीकार करना (प्रकृति का सत्य)

मौत सबसे खतरनाक और कम से कम बोला जाने वाला शब्द है हमारे समाज में क्योंकि यह गलत माना जाता है इसके बारे में सोचना भी. कोई भी मृत्यु को पसंद नहीं करता है क्योंकि मृत्यु एक संबंधित व्यक्ति की सभी गतिविधियों पर एक पूर्ण विराम डालती है. मौत लोगों को दूर ले जाती है, इस दुनिया से, हमारे जीवन से, हमारे परिवार से और मृत्यु केवल लोगों को दूर ही दूर ले जाती है. कुछ लोगों ने विज्ञान और धर्म में शरण ले ली है इस पर जीत पाने के लिए. कई वैज्ञानिकों और संतों ने प्रकृति की इस शक्ति पर जीत पाना चाहा है हालांकि कोई भी इस प्राकृतिक बल पर अभी तक जीत पाने मैं सक्षम हुआ है.

यहाँ तक कि मानव विकास के इतने सालों के बाद भी, मृत्यु हमारे जीवन में एक निरंतर सच है. इस पूरी स्थिति में केवल एक चीज है जो हमारे नियंत्रण में रहती है की इस सच्चाई को स्वीकार करना. इस सच्चाई को स्वीकार करने का लाभ यह है कि हम अपने मन में राहत मिलती है और हमे और अधिक अच्छा एवं पूरण जीवन जीने का मकसद मिलता है. सब कुछ जो एक व्यक्ति इस दुनिया में कमाता है इस दुनिया में मौत के बाद यहाँ रह जाता है और कुछ भी दूसरी दुनिया मैं व्यक्ति के साथ नहीं जाता है, इसलिए इसमें कोई मज़ा नहीं, हम पूरी जिंदगी बर्बाद करे काफी सारा पैसा या अन्य भौतिकवादी चीजों को इकट्टा करने मैं अच्छे जीवन की कीमत पर.

हर व्यक्ति को केवल कुछ साल मिलते है अपने जीवन का आनंद लेन के लिए जबकि सच में वह शेष समय दूसरों पर निर्भर रहता है. इस लिए अपने जीवन को खुशहाल बनाने के लिए और मृत्यु के भय कम करने के लिए, व्यक्ति एक स्वस्थ, परिपक्व, विचारशील और सुखद जीवन जिए अपने अस्तित्व को अधिक मूल्य देने के लिए. व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है. जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है हमारे आत्म संतुष्टि प्राप्त करने के लिए, यह बहुत मुश्किल है आत्म संतुष्टि के बिना एक वास्तविक जीवन में खुशी पाना और मृत्यु के भय को हटा पाना.

उन लोगों को जो इस आत्म संतुष्टि को प्राप्त कर पते है, जिन्हें हम कई नाम देते है उच्च आध्यात्मिक स्तिति, उपलब्धि भगवान की या सभी इच्छाओं के ऊपर चला गया व्यक्ति, एक मानसिक स्थिति प्राप्त करते है जहाँ कोई मौत उनमें भय पैदा करने में सक्षम नहीं होती हैं. अंत में हम कह सकते हैं कि मौत के डर की इस सच्चाई से डरने में कोई मज़ा नहीं है और हम आसानी एस भय को कम या दूर कर सकते हैं एक पूरा जीवन जी कर है कि हममें कोई इच्छा है इस संसार मैं वापस रहने की बची नहीं है. केवल मौत के डर से, हम केवल हमारे जीवन और हमारे साथ जुड़े लोगों के जीवन की गुणवत्ता को
कम करते है .


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