अक्सर हम अपनी असफलता का इल्जाम दूसरों पे मढ़ देते है और हम कभी भी यह नहीं सवीकार करते कि हमारी असफलता के पिच्छे असली कारण हम ही है I हम यह इसलिए करते है क्योंकि कि हम अपनी असफलता को मानने का जज्बा नहीं रखते और दूसरों पे इल्ज़ाम लगाना हमें एक आसान उपाय लगता है I वहीँ दूसरी तरफ हम कभी भी दूसरों को अपनी सफलता का श्रेय नहीं देते I असल में यह हमारा अहम् है जो हमें अपनी असफलता को न स्वीकार करने पर विवश कर देता है I अगर हम अहम् से ऊपर उठ कर देखे तो हम जान सकेंगे कि हम असफल सिर्फ अपनी कमियों के कारण हुए है I
हम दुनिया से चाहे जितना भी झूठ पर अंदर से हम भी इस सच्च को जानते है I इस दुनिया में कोई भी हमें हमारी इच्छा के बिना असफलता की तरफ नहीं धकेल सकता, दुसरे तभी ऐसा कर सकते है जब हम उन्हें ऐसा करने का मौका दे I सफलता इंसान के अपने योजनाबद्ध कार्यों का परिणाम है और सफलता पाने के हमें अपने कार्य शेत्र अति उत्तीर्ण होना आवश्यक है I बिना योग्यता के सफलता की कल्पना मात्र भी एक व्यंग से अधिक कुछ नहीं है I इसलिए दूसरों पे अपनी असफलता का इल्जाम देने की बजाय अपनी योग्यता को बड़ाने का प्रयास करे, जल्द ही सफलता आप का हाथ चूमेगी I
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