आज हम सब के सामने एक बड़ा सवाल यह है कि क्या हम एक नंगे समाज की रचना कर रहे है। नंगे समाज से मेरा मतलब एक ऐसे समाज से है जो समाज आपने उच्च मूल्यों को भूल कर धरातल की और जा रहा हो। आज का समाज बहुत ही खोखली बुनियाद पर टिका हुआ है, जिस कारण से यह तेज़ी से टूटता जा रहा है। पर हैरान करने वाली बात यह है कि हम देख कर भी सब अनदेखा कर रहे है। आज समाज में बुराई एक बेकाबू हो चुकी जंगल की आग की तरह पुरे समाज को खा जाने के लिए बेकरार है।
आज के समाज में चोर ही राजा है वह ईमानदार लोगों के लिए कानून बना रहा है। रिश्ते केवल स्वार्थ तक सीमित होकर रह गए है और हर एक दूसरे में बुराई ढूंढने में व्यस्त है। आज लोग जीवन में ख़ुशी से कहीं अधिक पैसे को महत्व दे रहे है और एक दिन पैसे के फंदे में फंस कर अपने जीवन को गवा भी बैठते है। अच्छे रिश्तों का तो समाज में एक अकाल आ गया है। पुँजीपति समाज हर इंसान को एक मशीन बना देना चाहता है और सरकार अपने भ्रष्टाचार से लोगों का खून चूस रही है।
आज इस बात की एक होड़ चल पड़ी है कि कौन कितना अधिक नंगा हो सकता है। लाखों लोग आत्महत्या कर रहे है, पानी पहले तो मिलता नहीं है और अगर मिल जाये तो साफ़ नहीं मिलता। लोग बुद्धि के स्तर पर काम और शरीक स्तर पर जीवन को अधिक जीने लगे है। प्यार का अर्थ तो शायद ही आज किसी इंसान को पता है। हर तरफ बस नफ़रत ही पैर पसार रही है। आज भी इंसान के पास इस सब को ठीक करने का समय है नहीं तो कल खुद ही इस दुनिया को हमेशा के लिए मिटा देंगे।
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